रविवार, ८ एप्रिल, २०१२

एकदंतम् शूर्पकर्णम् गजवक्त्रम् चतुर्भुजम्। 
पाशांकुशधरम् देवम् ध्यायेत सिद्धिविनायकम्।। ।। 

ध्यायेत देवम् महाकायम् तप्तकांचन संनिभम्। 
चतुर्भुजम् महाकायम् सर्वाभरणभूषितम्।।४।। 

दंताक्षमाला परशुपूर्ण मोदक हस्तकम्। 
मोदकासक्त शुंडाग्रम् एकदंतम् विनायकम्।।५।। 

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हे श्लोक म्हणत असताना अंत:करणात श्रीगणेश मूर्ती चे ध्यान करावे. 
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