एकदंतम् शूर्पकर्णम् गजवक्त्रम् चतुर्भुजम्।
पाशांकुशधरम् देवम् ध्यायेत सिद्धिविनायकम्।। 3 ।।
ध्यायेत देवम् महाकायम् तप्तकांचन संनिभम्।
चतुर्भुजम् महाकायम् सर्वाभरणभूषितम्।।४।।
दंताक्षमाला परशुपूर्ण मोदक हस्तकम्।
मोदकासक्त शुंडाग्रम् एकदंतम् विनायकम्।।५।।
--------------------------------------------------------
हे श्लोक म्हणत असताना अंत:करणात श्रीगणेश मूर्ती चे ध्यान करावे.
--------------------------------------------------------
पाशांकुशधरम् देवम् ध्यायेत सिद्धिविनायकम्।। 3 ।।
ध्यायेत देवम् महाकायम् तप्तकांचन संनिभम्।
चतुर्भुजम् महाकायम् सर्वाभरणभूषितम्।।४।।
दंताक्षमाला परशुपूर्ण मोदक हस्तकम्।
मोदकासक्त शुंडाग्रम् एकदंतम् विनायकम्।।५।।
--------------------------------------------------------
हे श्लोक म्हणत असताना अंत:करणात श्रीगणेश मूर्ती चे ध्यान करावे.
--------------------------------------------------------
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा